डेलॉयट ने भारतीय अर्थव्यवस्था के FY25 में 6.5-6.8% तक बढ़ने का अनुमान जताया
डेलॉयट के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था FY25 में 6.5-6.8% तक बढ़ने की उम्मीद है, जो घरेलू खपत, बुनियादी ढांचे के विकास और डिजिटलीकरण से प्रेरित होगी। इसके बाद FY26 में वृद्धि 6.7-7.3% तक पहुंचने का अनुमान है। हालांकि, वैश्विक अस्थिरता, व्यापार विवाद और भूराजनीतिक तनाव जैसी चुनौतियाँ दीर्घकालिक दृष्टिकोण को प्रभावित कर सकती हैं। डेलॉयट ने भारत की सेवा क्षेत्र, विनिर्माण निर्यात और स्थिर पूंजी बाजारों में मजबूती को उजागर किया है, जो वैश्विक अनिश्चितताओं को नकारते हुए आर्थिक वृद्धि का समर्थन कर सकते हैं।
आर्थिक प्रेरक और मजबूती
घरेलू खपत: कृषि आय में वृद्धि, लक्षित सब्सिडी और सरकारी कल्याण कार्यक्रमों के कारण ग्रामीण और शहरी मांग में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
विनिर्माण निर्यात: इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर्स और रसायन जैसे उच्च मूल्य वाले क्षेत्रों में वृद्धि से भारत की वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में स्थिति मजबूत होगी।
बुनियादी ढांचा और FDI: सरकार की बुनियादी ढांचा विकास, डिजिटलीकरण और FDI आकर्षित करने पर ध्यान केंद्रित करना आर्थिक दक्षता को बेहतर बनाएगा।
चुनौतियाँ और जोखिम
वैश्विक अनिश्चितताएँ: भूराजनीतिक तनाव, अमेरिकी नीतियों में बदलाव और वैश्विक तरलता में कमी से निर्यात मांग में कमी आ सकती है और RBI के मौद्रिक नीति विकल्पों को सीमित कर सकती है।
जलवायु और व्यापार जोखिम: आपूर्ति श्रृंखला में विघटन और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के कारण लगातार वृद्धि की चुनौतियाँ हो सकती हैं।
रणनीतिक ध्यान केंद्रित क्षेत्र
जनसंख्यिकीय लाभ: श्रमिकों के कौशल विकास में निवेश से खपत को बढ़ावा मिलेगा और पूंजी बाजारों को मजबूत किया जा सकेगा।
आत्मनिर्भरता: घरेलू मांग और वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में एकीकृत करने के लिए एक मजबूत विनिर्माण क्षेत्र का निर्माण आवश्यक है।
डिजिटल विकास: डिजिटल रूप से प्रदान की जाने वाली सेवाओं और उच्च मूल्य वाले निर्यातों को बढ़ावा देने से भारत को वैश्विक नजदीकी स्रोत के रुझानों का लाभ उठाने में मदद मिलेगी।
समाचार का सारांश
मुख्य बिंदु | विवरण |
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समाचार में क्यों है | डेलॉयट ने भारत की GDP वृद्धि FY25 में 6.5-6.8% और FY26 में 6.7-7.3% का अनुमान जताया। |
वृद्धि के प्राथमिक प्रेरक | घरेलू खपत, बुनियादी ढांचे का विकास, डिजिटलीकरण और FDI आकर्षण। |
FY25 में प्रभाव डालने वाली चुनौतियाँ | चुनावी अनिश्चितताएँ, भारी वर्षा, भूराजनीतिक तनाव और वैश्विक व्यापार विघटन। |
मजबूती के संकेत | उच्च मूल्य वाले विनिर्माण निर्यात (इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर्स, रसायन) और स्थिर पूंजी बाजार। |
वृद्धि के क्षेत्र | सेवाएँ, विनिर्माण निर्यात, ग्रामीण और शहरी खपत की प्रवृत्तियाँ। |
RBI का वृद्धि पूर्वानुमान | FY25 के लिए 7.2% से संशोधित होकर 6.6%। |
वैश्विक चुनौतियाँ | भूराजनीतिक जोखिम, व्यापार विवाद, जलवायु परिवर्तन और वैश्विक तरलता में कमी। |
नीति पर ध्यान केंद्रित | श्रमबल विकास, कौशल वृद्धि, आत्मनिर्भर विनिर्माण और डिजिटल सेवाएँ। |
उद्धृत अर्थशास्त्री | रुमकी मजुमदार, डेलॉयट इंडिया अर्थशास्त्री। |
इस रिपोर्ट से स्पष्ट है कि भारत के लिए वृद्धि के कई अवसर हैं, लेकिन कुछ वैश्विक और आंतरिक चुनौतियाँ इसके आर्थिक भविष्य को प्रभावित कर सकती हैं।
Deloitte Projects Indian Economy to Grow at 6.5-6.8% in FY25
According to Deloitte, the Indian economy is expected to grow at 6.5-6.8% in FY25, driven by domestic consumption, infrastructure development, and digitisation. Growth is expected to rise further to 6.7-7.3% in FY26. However, challenges such as global uncertainties, trade disputes, and geopolitical tensions may weigh on the long-term outlook. Deloitte highlighted India's resilience in services, manufacturing exports, and stable capital markets, which could offset global uncertainties and support economic growth.
Economic Drivers and Resilience
Domestic Consumption: Enhanced agricultural incomes, targeted subsidies, and government welfare programs are expected to boost both rural and urban demand.
Manufacturing Exports: Growth in high-value segments such as electronics, semiconductors, and chemicals will strengthen India's position in global value chains.
Infrastructure and FDI: The government’s focus on infrastructure development, digitisation, and attracting FDI will improve overall economic efficiency.
Challenges and Headwinds
Global Uncertainties: Geopolitical tensions, US policy changes, and tighter global liquidity may reduce export demand and limit the RBI’s monetary policy options.
Climate and Trade Risks: Supply chain disruptions and the impact of climate change may pose additional challenges to sustained growth.
Strategic Focus Areas
Demographic Dividend: Investing in workforce development and employability can drive consumption and strengthen capital markets.
Self-Reliance: Building a robust manufacturing sector for domestic demand and global value chain integration is crucial.
Digital Growth: Advancing digitally delivered services and high-value exports will help India capitalize on global nearshoring trends.
Summary of the News
Key Point | Details |
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Why in News | Deloitte projected India's GDP growth at 6.5-6.8% for FY25 and 6.7-7.3% for FY26. |
Primary Drivers for Growth | Domestic consumption, infrastructure development, digitisation, and FDI attraction. |
Challenges Impacting FY25 | Election uncertainties, heavy rainfall, geopolitical tensions, and global trade disruptions. |
Resilience Indicators | High-value manufacturing exports (electronics, semiconductors, chemicals) and stable capital markets. |
Growth Sectors | Services, manufacturing exports, rural and urban consumption trends. |
RBI Growth Forecast | Revised from 7.2% to 6.6% for FY25. |
Global Challenges | Geopolitical risks, trade disputes, climate change, and tighter global liquidity. |
Policy Focus Needed | Workforce development, skill enhancement, self-reliant manufacturing, and digital services. |
Economist Quoted | Rumki Majumdar, Deloitte India Economist. |
This report highlights several growth opportunities for India, but also indicates that both global and domestic challenges may affect the country’s economic future.