तुलसी गौड़ा, 'जंगलों की विश्वकोश,' का निधन
तुलसी गौड़ा, जिन्हें "वृक्ष देवी" के नाम से जाना जाता है, कर्नाटका की एक प्रसिद्ध पर्यावरणविद् थीं जिन्होंने अपनी पूरी ज़िन्दगी वानिकी और पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए समर्पित कर दी। 1944 में कर्नाटका के हॉनाली गांव में जन्मी, उन्होंने अपनी व्यक्तिगत और वित्तीय कठिनाइयों को पार कर 1 लाख से अधिक पेड़ लगाए। तुलसी गौड़ा, जिन्हें "वृक्ष देवी" के साथ-साथ "जंगलों की विश्वकोश" के रूप में भी जाना जाता था, कर्नाटका की एक अत्यधिक सम्मानित पर्यावरणविद् थीं। उनकी अथक मेहनत और पर्यावरण संरक्षण के प्रति उनकी वचनबद्धता के लिए उन्हें 2021 में पद्म श्री से सम्मानित किया गया था। 16 दिसंबर 2024 को उनका निधन हुआ, जिसने एक युग का अंत किया, लेकिन उनका कार्य और प्रेरणा आने वाली पीढ़ियों के लिए अमिट रहेगा।
मुख्य बिंदु
प्रारंभिक जीवन
- जन्म: 1944, हॉनाली गांव, उत्तर कन्नड़ जिला, कर्नाटका।
- चुनौतियाँ: अपने पिता को दो साल की उम्र में खो दिया और गरीबी में पली-बढ़ी, अपनी माँ के साथ दिहाड़ी मजदूरी की।
- शिक्षा की कमी: औपचारिक शिक्षा नहीं प्राप्त की, लेकिन उन्होंने जंगलों के बारे में असाधारण ज्ञान हासिल किया।
कैरियर और योगदान
- प्रारंभिक कार्य: कर्नाटका वन विभाग की अगासुर परियोजना में एक वन नर्सरी में बीजों की देखभाल शुरू की।
- रोजगार: 35 वर्षों तक दिहाड़ी मजदूरी करने के बाद वन विभाग में स्थायी पद हासिल किया।
वन संरक्षण
- कर्नाटका भर में 1 लाख से अधिक पेड़ लगाए और उनकी देखभाल की।
- एक सामुदायिक रिजर्व, पांच बाघ अभयारण्यों, 15 संरक्षण रिजर्वों और 30 वन्यजीव अभयारण्यों को सशक्त किया।
- शिकार पर रोक लगाई और जंगलों में आग की घटनाओं को नियंत्रित किया।
सम्मान और पुरस्कार
- पद्म श्री (2021): पर्यावरण संरक्षण में उनके असाधारण योगदान के लिए सम्मानित।
- उन्हें हलक्की आदिवासी समुदाय द्वारा "जंगलों की विश्वकोश" और "वृक्ष देवी" के रूप में पूजा जाता था।
उत्तराधिकारी और विरासत
- मार्गदर्शक: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें पर्यावरण संरक्षण के लिए एक स्थायी प्रेरणा के रूप में सराहा।
- प्रभाव: उनके कार्य पारिस्थितिकी संरक्षण के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करते हैं, और वे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रकृति की रक्षा करने का प्रेरणा स्रोत बनी रहेंगी।
सारांश
तुलसी गौड़ा का निधन एक युग के अंत के रूप में माना जाएगा। उनके द्वारा किए गए योगदान और कार्य भारतीय वन्यजीवों और पारिस्थितिकी संरक्षण के क्षेत्र में अनमोल धरोहर हैं। उनकी प्रेरणादायक जीवन गाथा सभी के लिए एक अनुसरणीय उदाहरण बनी रहेगी।
Tulsi Gowda, the ‘Encyclopedia of Forests,’ Passes Away
Tulsi Gowda, known as the “Tree Goddess,” was a renowned environmentalist from Karnataka who dedicated her life to afforestation and ecological preservation. Born in 1944 in Honnali village, Karnataka, she overcame personal and financial hardships to plant over 1 lakh trees, becoming a symbol of environmental conservation. Tulsi Gowda, revered as the “Tree Goddess” and “Encyclopedia of Forests,” was honored for her extraordinary contributions to preserving nature. She was awarded the Padma Shri in 2021 for her exceptional work. Her passing on December 16, 2024, marks the end of an era but leaves behind an inspiring legacy.
Key Highlights
Early Life
- Birth: 1944, Honnali village, Uttara Kannada district, Karnataka.
- Challenges: Lost her father at the age of two and grew up in poverty, working alongside her mother as a day laborer.
- Lack of Formal Education: Never received formal schooling but became an autodidact with profound knowledge of forests.
Career and Contributions
- Early Work: Started her career at a forest nursery, working on the Karnataka Forest Department’s Agasur project.
- Employment: Worked as a daily wage laborer for 35 years before securing a permanent position in the forest department.
Forest Conservation
- Planted and nurtured over 1 lakh trees across Karnataka.
- Contributed to strengthening 1 community reserve, 5 tiger reserves, 15 conservation reserves, and 30 wildlife sanctuaries.
- Played a significant role in preventing poaching and mitigating forest fires.
Recognition and Awards
- Padma Shri (2021): Honored for her unparalleled contributions to environmental conservation.
- Revered as the “Encyclopedia of Forests” and “Tree Goddess” by the Halakki tribal community.
Legacy
- Inspiration: Prime Minister Narendra Modi praised her as an enduring inspiration for environmental protection.
- Impact: Her work serves as a blueprint for ecological preservation, inspiring future generations to protect nature.
Summary
Tulsi Gowda’s death marks the end of an era in environmental conservation. Her tireless dedication to afforestation, wildlife protection, and ecological sustainability has left an indelible mark on India’s environmental landscape. She will be remembered as a guiding light and a source of inspiration for all those dedicated to preserving nature.